शिवरात्रि कब है Mahashivratri
शिवरात्रि 2023 इस बार शिवरात्रि 18 फरवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी शिवरात्रि भगवान भोलेनाथ के साथ जुड़ा हुआ बहुत ही पवित्र त्यौहार है यह त्यौहार हर साल माह फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन मनाते हैं इस व्रत का बड़ा ही महत्व, यह व्रत सृष्टि के आराम से है ऐसा शिव पुराण और अनेक हिंदू ग्रंथों में जिक्र है
शिवरात्रि क्यों मनाते हैं
शिवरात्रि का इतिहास बहुत ही प्राचीन है शिव महापुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की अनेक कथाएं उनमें से कुछ कथाएं इस प्रकार है
1.एक कथा का उल्लेख इस प्रकार है की भगवान शिव भोलेनाथ ने सृष्टि में पहली बार निराकार से साकार रूप में प्रकट हुए थे वह एक अग्निमय शिवलिंग के रूप में करोड़ों सूर्य के की भांति तेज अनंत लिंग जिसका न कोई आरंभ था और ना कोई अंत, इस लिंग का आरंभ और अंत का पता लगाने के लिए भगवान ब्रह्मा अपने हंस पर सबार होकर अनंत ब्रह्मांड में इस लिंक का आरंभ खोजने निकल पड़े वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु इस अग्नि मय लिंग का अंत जाने के लिए पाताल में गए और हजारों वर्ष बीत गए लेकिन इस अग्नि लिंग का आदि और अंत नहीं खोज सकें! तभी से महाशिवरात्रि का व्रत अस्तित्व में है
2. एक कथा इस प्रकार आती है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ ने 64 लिंग के रूप में प्रकट हुए थे हम इन 64 शिवलिंग में से 12 शिवलिंग को जानते हैं इनको हम ज्योतिर्लिंग भी कहते हैं इन 12 शिवलिंग के नाम इस प्रकार है
12 ज्योतिर्लिंग एवं उनके स्थान
- सोमनाथ वेरावल सोमनाथ
- नागेश्वर द्वारका गुजरात
- भीमाशंकर पुणे महाराष्ट्र
- त्रंबकेश्वर नासिक महाराष्ट्र
- ग्रिनेश्वर औरंगाबाद महाराष्ट्र
- वैधनाथ देवघर झारखंड
- महाकालेश्वर उज्जैन मध्य प्रदेश
- ओमकारेश्वर खंडवा मध्य प्रदेश
- काशी विश्वनाथ वाराणसी उत्तर प्रदेश
- केदारनाथ केदारनाथ उत्तराखंड
- रामेश्वरम रामेश्वर तमिलनाडु
- मल्लिकार्जुन श्रीशैलम आंध्र प्रदेश
3. कथा - एक कथा इस प्रकार भी है शिव महापुराण के अनुसार जब देवता और राक्षस अमृत के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे तभी समुद्र से हलाहल विष निकला जो बहुत विकराल और खोलता हुआ था इस विष का पान करने के लिए जब सृष्टि में कोई ना था तब देवताओं और राक्षसों ने भगवान महादेव का ध्यान किया उनको पुकारा और सृष्टि के संरक्षण उपकार के लिए भगवान महादेव भोलेनाथ शिव शंकर ने वह हलाहल विष को पान किया और अपने कंठ में रख लिया इसके कारण भगवान भोलेनाथ का कंठ नीला पड़ गया तभी से भगवान भोलेनाथ को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है तभी से महाशिवरात्रि को मनाया जाता है
4. कथा एक बहुत प्रचलित कथा है जिसके अनुसार भगवान शंकर का माता पार्वती के साथ विवाह महाशिवरात्रि को ही संपन्न हुआ था !इस दिन भगवान शंकर व्यस्त जीवन में आए थे इससे पहले भगवान भोलेनाथ ध्यान समाधि में लीन थे, कई युगों युगों तक भगवान शंकर ध्यान में लीन रहे जब भगवान का ध्यान देवताओं द्वारा भंग कराया गया तब कामदेव को अपने प्राण गवाने पड़े थे, वह भगवान शिव की तीसरी आंख से भस्म हो गए थे ,भगवान शिव और शक्ति के विवाह की कथा के अनुसार तभी से शिवरात्रि मनाई जाती है
महाशिवरात्रि का जश्न उल्लास
महाशिवरात्रि को शिवालयों में बहुत धूमधाम होती है श्रद्धालु भक्तजन बाबा भोलेनाथ शिव शंकर का विवाह उत्सव मनाते हैं भगवान भोलेनाथ को दूल्हा बनाते हैं उनकी बारात निकलती है बरात में भगवान के साथ नंदी देवता भूत सांप बिच्छू सभी तरह के राक्षस जो उनके गढ़ हैं उनके साथ चलते हैं और बहुत ही भव्य बारात होती है भगवान शिव शंकर नंदी पर सवार होकर माता पार्वती से विवाह रचाने निकलते हैं
भगवान शिव का स्वरूप हाथ में डमरू गले में नाग सिर पर चंद्रमा कानों में बिच्छू शेर की खाल लपेटे हुए हाथ में त्रिशूल डमरु लिए हुए, शिव बारात में हाथी घोड़े रथ पैदल बैंड बाजा नगाड़े आदि होते हैं भक्तजन अपने घरों से निकलकर गली गली चौराहे चौराहे पर भगवान शंकर का स्वागत करते हैं उनकी आरती पूजन करते हैं और साथ नाच गाना धूमधाम से होता है बहुत ही अलौकिक भव्य बारात निकलती है है जो भक्त लोग अब तक इसमें शामिल नहीं हुए एक बार इस में शामिल होकर देखें बहुत ही आनंद होता है
करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे
भवम भवानी सहितं नमामि ||
शिवरात्रि पूजन सामग्री, भोले नाथ की पूजन सामग्री
पूजन सामग्री में लोंग, काली मिर्च ,51 बेलपत्र ,कमलगट्टे शमी पत्र ,दूध ,फल ,दही ,सफेद पुष्प ,31 चावल के दाने, ग्यारह इलायची, 2 जनेऊ ,घी का दीपक, चावल ,अमीर, गुलाल ,भस्म भांग ,धतूरा, अक्कुया के फूल, आरती कर दिया, पूजन का दिया, धूपबत्ती, शकर, गन्ने का रस ,भस्म ,शहद ,इत्र, गंगाजल आदि सामग्री
महाशिवरात्रि को विशेष क्या करें
महाशिवरात्रि बहुत ही पवित्र वह हर एक मनोकामना को पूर्ण करने वाला भोलेनाथ का व्याख्या व्रत है जिस दिन आप भगवान भोलेनाथ की उपासना करें शिवरात्रि को भगवान को कैसे मनाएं इसके लिए महाशिवरात्रि को आप देव आदि देव महादेव की आराधना करें लोग शिवालय जाकर या घर पर ही भगवान की पूजा
करते हैं रुद्राभिषेक करते हैं भजन आरती ध्यान करते हैं
महाशिवरात्रि को क्या करें जो महत्वपूर्ण है
पहला उपवास 2.ध्यान 3.मंत्र जाप 4.महादेव की पूजन
शिवलिंग की आराधना एक उपवास से शरीर हल्का और स्वस्थ होता है इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी है और जब तक शरीर हल्का व स्वस्थ होता है तो ध्यान पूजन में मन लगता है आप फल जूस का सेवन करें इससे आपके शरीर को ऊर्जा मिलती रहेगी ,
2.ध्यान - महाशिवरात्रि को ध्यान करना बहुत ही उत्तम माना गया है इसलिए ऋषि-मुनियों के अनुसर शिवरात्रि को ध्यान करना बहुत ही फलदायक है 3 मंत्र जप -शिवरात्रि को शिव मंत्र का जाप कई गुना फल देता है ओम नमः शिवाय इस मंत्र मे सारी सृष्टि समाई हुई है सृष्टि का आरंभ ओम से ही हुआ है ओम को सृष्टि की ध्वनि माना जाता है नासा ने भी सूर्य के कक्ष में ओम का उच्चारण की ध्वनि रिकॉर्ड किए है जब सृष्टि में कुछ भी नहीं था तब भी केवल ओम था
आराधना - महाशिवरात्रि पर आप भगवान महादेव की आराधना पूजन करें शिव लिंग को धतूरा शमी पत्र अर्पित करें इस दिन शिवालय जाकर भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से आपकी हर एक मनोकामना पूर्ण होती है महादेव जिनका ना आदि है ना अंत है ऐसे भोलेनाथ की आराधना करके आप अपनी हर मनोकामना को पूरी कर सकते हैं
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