google.com, pub-5050673853034467, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hanuman ji , हनुमान चालीसा Skip to main content

COVID cases in india

Hanuman ji , हनुमान चालीसा

हनुमान जी की आराधना पूजा विधि हनुमान जी कैसे प्रसन्न हो

हनुमान जी की स्तुति

Hanuman image


मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

हनुमान चालीसा हिंदी मे, हनुमान चालीसा पाठ

दोहा :-

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। 

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

 बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। 

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥1॥


जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीश तिहुँ लोक उजागर॥2॥

राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥3॥

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥4॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुञ्चित केसा॥5॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥6॥

 शंकर स्वयं केसरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग बंदन॥7॥

विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥8॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥9॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥10॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥11॥

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥12॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥14॥

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥15॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥16॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥17॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥19॥

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना॥22॥

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥23॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥24॥

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥27॥

और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥

साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥31॥

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

अंतकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥34॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥35॥

संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

गौरीसा॥39

जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥37॥

जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई॥38॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥40॥

दोहा :-

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रूप। 

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥41॥

हनुमान जी की जन्म की कहानी

हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार महावीर हनुमान जी महाराज का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा  दिन मंगलवार को हुआ था उनकी माता अंजनी और पिता भगवान वानर राज केसरी है जब माता अंजना और भगवान वनराज केसरी ने भगवान भोलेनाथ की घोर तपस्या की  जिससे प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने माता अंजना  और वानर राज भगवान केसरी को वरदान दिया की वह स्वयं आपके यहां रूद अवतार में जन्म लेंगे 

धार्मिक मान्यताएं और हमारे ग्रंथ वेद पुराण के अनुसार जब राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया था उस यज्ञ के प्रसाद के रूप में संतान प्राप्ति के लिए तीनों रानियों को खीर दी गई उसमें से एक भाग कौवा लेकर उड़ गया और माता अंजना के हाथों में वह प्रसाद गिर गया जिसको माता अंजना ने भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मानकर ग्रहण किया इस सारी प्रक्रिया में पवन देव की अहम भूमिका रही, और भगवान भोलेनाथ ने रुद्र अवतार में माता अंजना के यहां जन्म लिया इसका प्रमाण हनुमान चालीसा में आता है "शंकर स्वयं केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग बंधन "

 Hanuman image


Hanuman ji


Hanuman ji

Hanuman image








Comments