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चिकित्सा क्षेत्र में कमीशन प्रणाली: मरीजों की जेब पर भारी पड़ता डॉक्टर-लैब गठजोड़

इंदिरा आईवीएफ Indira ivf ,ivf क्या है कौन करा सकता है

 इंदिरा आईवीएफ  indira ivf

    बदलते समय में जीवनशैली भी बदलती जा रही है दुनिया तेजी से इंटरनेट डिजिटल में परिवर्तित हो रही है इसके चलते जीवन शैली बदल गई है युवा पढ़ाई लिखाई कैरियर के चलते दिल से शादी  करना किया फैमिली प्लानिंग बच्चे देर से करना एक चालान क्या हो गया है या फिर बदली हुई लाइफस्टाइल खानपान फास्ट फूड जंक फूड आदि के चलते आज बच्चों की चाय रखने वाले 15 से 20 परसेंट दंपत्ति निसंतान तक का दर्द या सामना कर रहे हैं ऐसे दंपत्ति के लिए आईवीएफ चिकित्सा विज्ञान का एक वरदान साबित हो रहा है इस प्रक्रिया की शुरुआत सन 1978 में हुई थी तभी तकनीक का उपयोग बंद या ब्लॉक फेलपियन ट्यूब मे गर्भधारण करने के लिए किया जाता था उस समय तकनीक बहुत महंगी पड़ती थी , आमलोग के पहुंच में नहीं थी! चिकित्सा विज्ञान विज्ञान ने समय के साथ आई बीएफ आईवीएफ तकनीक में बदलाव किए कॉस्ट कम की और अब यह टेक्निक्स निसंतान दंपत्ति की समस्या का निवारण करने में काम आने लगी


    Ivf


    आई बी एफ क्या है

    इन विट्रो फर्टिलाइजेशन इसको लोग टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जानते हैं इस तकनीक में जो दंपत्ति सहज तरीके से या नॉर्मल टेस्ट कुछ दवाइयां नॉर्मल इलाज से संतान सुख की प्राप्ति नहीं कर पाते उन दंपतियों के लिए आईवीएफ एक वरदान की तरह साबित होता है इस तकनीक से संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं

    आईवीएफ टेक्निक कैसे काम करती है

    इस क्रिया में आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम काम करती है इसमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर महिला को माहवारी के दूसरे दिन से इंजेक्शन लगाए जाते हैं यह इंजेक्शन हारमोंस के होते हैं जोकि महिला के गर्भाशय में बनने वाले अंडों के विकास के लिए होते हैं अंडे गर्भाशय में बड़े हो जाते हैं अंडों के विकास को अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी के द्वारा देखते हैं जब अंडे बड़े हो जाते हैं तब एक छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है इसको ओवल पिकअप ऑपरेशन कहते हैं इस तकनीक में महिला के गर्भाशय से दूसरे दिन अंडे को बाहर निकालते हैं इन अंडों को विशेष ट्यूब में कलेक्ट कर लैब में भेज देते हैं  जो फर्टिलाइजेशन महिला के गर्भाशय में होता है वह क्रिया लैब में पूरी की जाती है यहां पर महिला के अंडे को पुरुष के शुक्राणु से निषेचन कराया जाता है और 3 से 5 दिन तक लैब में बढ़ाया या ग्रोथ कराई जाती है इसके बाद लैब में बने हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है मिस पूजा के बाद इस क्रिया के बाद महिला कुछ देर बाद जा सकती है बाकी प्रक्रिया महिला के गर्भ में प्राकृतिक रूप से होती है समय-समय पर आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर इसको चेक कर लेते हैं

    आईवीएफ कॉस्ट IVF Cost

    डॉ चारू जौहरी आईवीएफ स्पेशलिस्ट अलवर राजस्थान के अनुसार आईवीएफ में कॉस्ट कीमत उसमें उपयोग करने वाली टेक्निक पर निर्भर करता है आईवीएफ तकलीफ में लगाए जाने वाले इंजेक्शन पर भी कीमत निर्भर करती है मरीज को इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं 

    1 इंजेक्शन हार्मोन इंजेक्शन

     1.रिकमेंडेशन - यह इंजेक्शन बहुत अच्छी क्वालिटी के होते हैं यह 100% pure  होते हैं इनमें कोई मिलावट नहीं होती महिला को रिएक्शन का खतरा बहुत कम होता है और अंडे(ovl)का विकास अच्छे से होता है अंडा अच्छा होगा तो भ्रूण भी अच्छा बनेगा
    2. प्यूरीफायर इंजेक्शन - इस तरह के इंजेक्शन में कीमत तो कम हो जाती है या आज भी हो जाती है लेकिन ए इंजेक्शन से महिला को रिएक्शन का खतरा बढ़ जाता है और अंडे का विकास भी जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हो पाता, इनकी  recommended injection से कम या आधी होती है
    आईवीएफ में उपयोग आने वाले इंजेक्शन की कीमत दवा बाजार में 40,000 से 95000 तक होती है

    2. तकनीक 


     आईवीएफ प्रक्रिया में प्रयोग होने वाली तकनीक पर भी कॉस्ट डिपेंड करती है 1. ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst transfet) महिला के गर्व स निकला हुआ
    अंडा ओवल और पुरुष के शुक्राणु से मिलकर बना हुआ भ्रूण को 3 से 5 दिन तक लैब में एक विशेष तरह के लिक्विड या तरल पदार्थ में रखते हैं  जिससे कि भ्रूण का विकास अच्छे से हो जाता है और उसमें चिपकने की क्षमता बढ़ जाती है 
    2. लेजर असिस्टेंट हैचिंग यह बहुत ही सूक्ष्म और सावधानी से की जाने वाली प्रक्रिया है इस क्रिया भ्रूण के खोल में एक छोटा सा सूक्ष्मा छेद किया जाता है जिससे कि भ्रूण गर्भाशय में आसानी से निकल सके , इस तकनीक से भी कीमत बढ़ जाती है लेकिन सफलता का प्रतिशत भी बढ़ता है
     3. क्लोज वर्किंग चेंबर - भ्रूण को शरीर के बाहर 5 दिन तक पालते हैं यह एक बहुत खास मशीन होती है जिस का तापमान आसपास का वातावरण भ्रूण के लिए माता के गर्भाशय जैसा होता है जिसके कारण भ्रूण गर्भाशय से बाहर 5 दिन तक जिंदा रहता है और विकास करता हूं इन सभी तकनीक के कारण भी आईवीएफ की लागत बढ़ जाती है लेकिन  सफलता का रिजल्ट भी बढ़ता है इन सब टेक्निक से सफलता का कुछ भी बढ़ जाता है

    IVF टेस्ट ट्यूब बेबी के सफलता का प्रतिशत कितना है

    आईवीएफ तकनीक जब शुरू हुई थी 1978 में इसका सफलता का प्रतिशत बहुत कम था शुरुआती समय में आईवीएफ टेस्ट ट्यूब बेबी की सफलता 20 से 25 परसेंट था लेकिन समय के साथ साथ तकनीक में और सुधार किए वृद्धि की और आज के समय में आईवीएफ की सफलता का प्रतिशत 75 परसेंट हो गया है

    आईवीएफ क्या है

    इन विट्रो फर्टिलाइजेशन इसको test tube baby टेस्ट ट्यूब बेबी भी बोलते हैं इस तकनीक में दंपत्ति या पति पत्नी संतान सुख से वंचित रहते हैं उनके लिए आईवीएफ एक वरदान है इस प्रक्रिया में महिला का अंडा बाहर निकाल कर पुरुष के शुक्राणु से निषेचन करा कर 3 से 5 दिन में महिला के गर्भावस्था में स्थापित कर दिया जाता है जिससे वह महिला प्रेग्नेंट हो जाती है

    आईवीएफ प्रक्रिया में कितना समय लगता है

    आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया में दंपति को 2 से 3 विजिट करनी होती हैं पहले बजट में दंपत्ति के सारे टेस्ट कराए जाते हैं दूसरी बजट में इंजेक्शन और मेडिसन दी जाती है और महिला के अंडे का स्पर्म से लैब में निषेचन मिलन कराया जाता है और उसके 3 से 5 दिन मे महिला के गर्भाशय में लैब में विकसित भ्रूण को स्थापित कर दिया जाता है

    क्या आईवीएफ में दर्द होता है

    आईवीएफ टेक्निक में दर्द बहुत कम होता है इसमें अंडे को पिक करने के लिए एक छोटा सा ऑपरेशन होता है उसको भी एनेस्थीसिया के द्वारा दिया जाता है इसमें दर्द सिर्फ इंजेक्शन का होता है बाकी प्रक्रिया नॉर्मली है

    आईवीएफ टेस्ट ट्यूब बेबी की कॉस्ट कितनी है

    आईवीएफ तकनीक की कीमत उसमें उपयोग किए जाने वाले इंजेक्शन उसकी टेक्नोलॉजी और डॉक्टर के ऊपर निर्भर करता है फिर भी इसकी लागत लगभग 125000 से ₹200000 तक आती है और आजकल यह पेमेंट आप ईएमआई के माध्यम से भी कर सकते हैं

    आईवीएफ सेंटर नियर मी मेरे आस-पास आईवीएफ सेंटर

    आपके पास में आईवीएफ सेंटर भोपाल ग्वालियर इंदौर जबलपुर रतलाम रीवा सागर उज्जैन मे इंदिरा आईवीएफ सेंटर है

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